दोस्तों हम सभी अपने या अपने परिवार के लिये कुछ तो कर ही रहें हैं, भले ही तरीके अलग अलग होंगे, रिजल्ट भी सबके लिये अलग अलग ही होगा। किसी को कम , किसी को ज्यादा मिल रहा होगा।
मेहनत सभी कर रहें हैं पर लाख टके का सवाल यह है कि-
*क्या हमें हमारी मेहनत का सही रिजल्ट या पुरस्कार मिल रहा है?*
*क्या हमारी सभी जरूरत पूरी हो रही हैं?*
*क्या हमें इससे अधिक नहीं मिलना चाहिए?*
*क्या और बेहतर पाने की हमारी इच्छा नहीं हैं?*
*क्या जो हम कर रहे हैं ,उससे हमारी अंर्तआत्मा को दुःख नही पहुंच रहा हैं, हम अपनी खुद्दारी से समझौता तो नहीं कर रहें हैं?*
*क्या हमें अपने मौजूदा काम में प्रसन्नता मिल रही है या हम इस काम को तब भी करते रहेंगे अगर उस काम से हमें कोई फायदा ( जैसै इनकम ,मगर मजबूरी नहीं )नहीं मिल रहा है ?*
*दुनिया में सबसे मुश्किल काम है सही दिशा में सही सोचना*🤔 क्योंकि सही सोचने में दिमाग लगता है , जब सही बातें सोचने लगते हैं तो सच्चाई निकल आती है। इससे टेंशन होनी लगती है क्योंकि सही सोच हमें स
काम करने के लिये उकसाती है जिससे मनचाही सफलता मिलेगी।काम तो ऐसे ,जो आज तक नहीं किये हैं ,इसलिये ज्यादातर लोग सोचना ही नहीं चाहते।
*अब कोई सोचेगा ही नहीं तो मनचाहा तो मिलने से रहा। फिर एक ही रास्ता बचता है - जो मिल रहा है उसी में संतोष करो और ऐसे लोगों ने ही एक कहावत को जन्म दिया- उतने ही पैर फैलावो, जितनी चादर है।*
*जबकि सही सोच वाला इतनी बड़ी चादर का इंतजाम करेगा कि उसमे पूरा समा सके, हो सके तो एक आध और भी समा सकें*
*मेरा मानना है कि जब कुछ करना है ही तो कुछ ऐसा और इतना कर लो कि सब बात बन जाय 😊जैसे-*
*अगर भौतिक सुख सुविधाएं* *जुटाने की ही बात है तो एक छोटे से घर की जगह एक बड़े से बंगले के बारे में सोचिये , या एक बड़ा सा अपार्टमेंट बनाने के* *ख्वाब देखिये , एक छोटी सी गाड़ी में घूमने की जगह* *luxury cars की fleet खड़ी करने के बारे में सोचिये*
*कुछ लाख का बैंक बैलेंस की जगह करोडो़ रूपये महीना या सालाना पैसीव इनकम का स्रोत बनाने की सोचिये।*
*छोटे मोटे घूमने फिरने की जगह अपने देश विदेश में सभी देखने, घूमने लायक जगहों पर जाने के बारें में सोचिये और सभंव करने के उपाय सोचिये*
*छोटी मोटी समाज सेवा के बदले बहुत से जरूरतमंदों को साधन संपन बनाने की सोचिये*
*आम भारतीय पूरी जिदंगी में आर्थिक और स्वास्थ्य की समस्या से हैरान परेशान है जिसका कारण हैल्थ और फायनेन्शियल एजुकेशन नहीं होना है, लाखों करोड़ों लोगों को ऐसी सही और जरूरी एजुकेशन देने की सोचिये*
*हम अपनी सही गलत बात को प्रूव (साबित करना)करने में समय और ऊर्जा नष्ट कर रहें है जिसका कोई फायदा नहीं है, इसकी जगह खुद को इंप्रूवमेंट(सुधार करना) करने में लगायें*
*अच्छी बातोँ को बताने वाले या मदद करने वालों को तवज्जो न देनें या खिल्ली उड़ाने की बजाय उन बातों और उन भले लोगों को सम्मान देने और उनकी बातों को बढा़वा देने की सोचें।*
*अपने बच्चों को भी अपने जैसा करने या बनने की सलाह देने की बजाय उनके लिये कुछ करें कि वे अपनी हौबी को डेवलेप कर सकें और प्रचलित नौकरी या बिजनेस की जगह अपनी हौबी को ही आगे बढा़यें*
*फालतू की गप्पें हाँकने या टीवी देखने में , राजनीतिक तर्क कुतर्क में समय नष्ट करने के बजाय किसी विचार को मूर्तरुप देनी की सोचे*
*एक दूसरे से कंपीटीशन करने बजाय साथ मिलकर आगे बढ़ने की सोचें*
*common man की तरह सोचेंगे तो common man की तरह ही ज़िन्दगी बिता देंगे*…
जिदंगी आपकी...
सोच भी आपकी....
आप कैसे बनना चाहते हैं...
यह च्वॉइस भी आपकी..
*मैने कामन मैन की तरह सोचना कभी का बंद कर दिया ,जिसका परिणाम आप मेरी सोच को विभिन्न पोस्ट के रूपों मे आपको दिखाई दे रही होंगी. साथ ही कुछ ऐसा ही कर रहा हूँ जो 100% मनचाही सफलता पाने की गाँरटी है.....*
😊
अस्तु ....
आपका शुभाकाक्षी...
रवींद्र 😊🙏🏻
No comments:
Post a Comment