*आप ही हैं आपके भाग्यविधाता*
*हम जो कुछ भी अपने जीवन मे कर रहे हैं, बगैर कारण के नहीं करते, चाहे वह बहुत सामान्य या महत्वपूर्ण ही क्यों न हो*‼
आगे बढ़ने से पहले मैं आपसे कुछ सवाल करना चाहता हूं-
*आप अपने जीवन में चाहते क्या हैं*???
उत्तर मे समाप्त न होने वाली लिस्ट भी बन सकती है ,पर उन सभी को अगर कुछ श्रेणियों मे बाटाँ जाय तो , हम कह सकते हैं कि-
*हम चाहते हैं-*
* धन* -
धन हमारी बेसिक जरुरतों को पूरा करने के लिये तो चाहिए ही साथ ही और भी जरूरतों को पूरा करने के लिये भी । अगर सपने भी हैं ,तो उनको पूरा करने के लिये भी धन यानी money ही चाहिए ।
*यह सच है कि धन सब कुछ नही है पर यह भी सच है कि बहुत कुछ के लिये धन ही चाहिए*
*जीवन मे सबसे ज्यादा परेशानी धन की कमी से ही होती हैं ।*
अपने जीवन में हम सबसे ज्यादा समय धन कमाने के लिये ही देते हैँ ।धन वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिये ही नहीं चाहिए, बल्कि हर इन्सान धन अपनी इच्छानुसार और मनचाही मात्रा में भी चाहता है ।दूसरों की मदद करना भी मानव प्रकृति है, उसके लिये भी धन चाहिए ।
* समय* -
हम अपनी ईच्छानुसार समय बिताना तो चाहते हैं पर क्या ऐसा सम्भव है?
अपनी और पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए धन कमाना ज्यादातर लोगों की मजबूरी बन गई है, फिर अपनी मर्जी से समय बिताना कहाँ सम्भव है ।
नौकरी मे सीमित अवकाश अवधि मे जरूरी कार्यों को निपटारा ही किसी उपलब्धि से कम नहीं है ।
अपने बिजनेस या पेशेवर व्यवसाय मे समय निकालना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है ।
समय की कीमत तब महसूस होती है ,जब समय या तो निकल जाता है या कुछ करने के लिये समय बच ही नहीं रहा होता है ।
* अच्छा स्वास्थ्य*-
*WHO के अनुसार दुनिया की कुल जनसंख्या के 5% लोग गम्भीर बीमारियों से पीड़ित हैं, केवल 15% सौभाग्यशाली इंसान ही अपने जीवन मे अभी तक बीमार नहीं हुये हैं पर भविष्य मे कभी बीमार नहीं पड़ेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है*
*बाकी 80% लोग कम से कम एक बार बीमार हो चुके हैं ।जिस रफ्तार से अस्पतालों की संख्या. बढ़ रही है, उससे यह बात साफ समझ मे आती है कि, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ेगी ही*
समय के साथ , समाज मे स्वस्थ्य जीवन की इच्छा और जागरूकता भी बढ़ रही है ।
एक सर्वे के अनुसार एक औसत भारतीय परिवार सालाना. अपनी पारिवारिक बचत का 40% बीमारियों के इलाज पर खर्च करता है , जिसे बचाया जा सकता है ।
* सुरक्षित भविष्य* :
हम अपने वर्तमान की तुलना मे भविष्य के प्रति ज्यादा चिंतित रहते हैं । क्योंकि हमारा वर्तमान जीवन स्तर, आय आदि हमारे काम करने पर ही निर्भर है, भविष्य में हम वह काम करने योग्य रहेंगे या नहीं , हमारा काम कैसा चलेगा, इन बातों पर हमारा कोई कंट्रोल नही होता है ।
समय के साथ साथ नौकरियों, व्यापार सब में प्रतियोगिता बढ़ती ही रहती हैँ ।बहुत से जाने ,अनजाने कारण भी हमारी असुरक्षा की भावनाओं को समय समय पर और भी गंभीर बना देती हैं ।
* मान - सम्मान*:
हर इंसान की मान सम्मान पाने की ,असीम इच्छा रहती है ।
अपने परिवार, समाज, राज्य ,देश- दुनिया मे नाम रौशन करने के लिये प्रयत्न भी करते हैं ,समाज सेवा आदि काम हमारी इसी इच्छा के परिणाम हैँ
*अब यहाँ पर बहुत ही महत्वपूर्ण बात सामने आती हैँ कि, इन सब बातों की जरूरत हम सभी को है*?????
*जो काम हम कर रहे हैं*-
*क्या उस काम से यह सब हमें मिल रहा है*? ????????
*या मिल सकता है*???
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