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Sep 23, 2017

खरी बात- मजबूरी या समझदारी

खरी बात- मजबूरी या समझदारी

इंसान गुफाओं से निकलकर आज आधुनिक विकास का आनंद उठा रहा है । समय गुजरने के साथ साथ जरूरत़ें भी बढ़ जाती हैं ।ऐसा हर इंसान और परिवार के साथ हो रहा है । 

अपनी और परिवार की बढ़ती जरुरतों को पूरा करने की आपाधापी में इस एक बार मिलने वाले जीवन को कैसे आंनदपूर्वक जीया जाये?

हर कोई जीवन जी तो रहा है पर कुछ न कुछ छूटता रहता है ।

जिदंगी की गुजर बसर करने के लिये रूपये कमाना मजबूरी है ,ईच्छा नहीं ।

कोई अपनी जरूरत भर का भी नहीं कमा पा रहा है तो, कोई जरुरत से अधिक ।

किसी का स्वास्थ्य फिलहाल ठीक है तो, किसी का नहीं ।

 किसी के पास समय ही समय है तो, किसी के पास जीवन का आंनद लेने की फुर्सत ही नहीं है ।

 कोई मेहनत करने के बावजूद भी संघर्ष ही कर रहा है तो कोई बगैर किसी खास शिक्षा और कौशल के सफलताओं के झंडे गाड़ देता है । 

कोई मान सम्मान के लिये दूसरे की जान भी ले लेता है तो, कोई अपनी मान सम्मान की रक्षा के लिये अपनी जान भी दे देता है ।

कोई समाज सेवा के लिये अपना जीवन न्यौछावर कर देता है तो,कोई आपराधिक जीवन जीने का रास्ता अपना लेता है ।

कोई अपनी ईच्छा से काम कर रहा है तो, कोई मजबूरी में ।

कोई धर्म करम को ही जीवन मान लेता तो कोई भोग विलास को ही ।

हर इंसान के मन में कसक रहती ही रहती है , काश ऐसा हो जाता ,आदि आदि ।

इन सब बातों का निचोड़ यही हे कि जीवन कैसा होना चाहिये ,इस पर किसी की एक राय नहीं है ,न ही कोई ऐसी सही सलाह देता है ।

ऐसी सलाह देना और मिलना मुश्किल ही है क्योंकि ऐसी शिक्षा न तो स्कूल, कालेज में मिलती है न ही माँ बाप को पता है ।

वाकई यह असमंजस की स्थिति है और इस स्थिति में भ्रम का शिकार होना बड़ा आसान हो जाता है । आपको कोई भी किसी भी एक बात से प्रभावित कर सकता है ।

इतिहास और  वर्तमान में  लोगों के अनुभवों के आधार पर  और भविष्य के अनुमान के  आधार पर एक सुखी -समृध्द जीवन के मूल आधार हैं-

* धन-सम्पत्ति -Wealth

* स्वास्थ्य-Health

* समय -Time

* सुरक्षित भविष्य -Secured Future

* मान सम्मान - Recognition.

 जिस इंसान के पास ये सभी हैं, वाकई उसी का जीवन सुखी समृध्द जीवन है ।

इन सब में से किसी की कमी से जीवन में छटपहाट और संघर्ष ही रहेगा ।

आम तौर पर अधिकांश लोगों के जीवन में यह सब नहीं होता है ,इसीलिये उनका जीवन संघर्षों से भरा होता है । 

यह संघर्ष हो सकता है आमदनी के लिये हो या स्वास्थ्य का, या समय की कमी या समाज में मान सम्मान पाने का या भविष्य की चिंता ।

अधिकतर  लोगों की सोच यह बन चुकी है कि यह सब एक साथ मिलना असंभव है और जैसा जीवन चल रहा है , वैसे ही चलने दो । थोड़े बहुत लोग खूब रुपया पैंसा कमाकर धन संपत्ति जमा करके अपने आप को संतुष्ट कर लेते हैं कि चलो जीवन में अब मजा आयेगा। उनकी इस सोच के हिसाब से वे ठीक ही हैं क्योंकि अधिकांश चीजेँ रूपयों से आती हैं ।पर बाकी चीजें छूट जाती है।

सच्चाई तो यह कि हर इंसान इन सबको पा सकता है । बस इन बातों को समझना -सीखना पड़ता है और उनको पाने का रास्तें पर चलना पड़ता है ।

अगली बार एक एक बात पर विस्तार पूर्वक बात करूँगा ।

अगर आपको ये बातें ठीक लगती हैं या  अपने अनुभव साझा करना चाहते हैं तो कृपया कमेंट जरूर करें।

आपके सुखी- समृध्द जीवन की शुभकामनाओं सहित  आपका शुभाकाक्षीं-

रवींद्र भट्ट 

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