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Oct 9, 2015

Health and Wealth works like our two legs| सेहत और दौलत दो पैरों के समान हैं ।

हर इंसान अपने दोनों पैरो 👢👢पर खड़ा होता है और चलता है।
काफी देर तक चल सकता है। कितनी देर तक यह उसकी शारीरिक और मानसिक ताकत पर डिपेंड करता है।
लेकिन एक या दोनों  पैर कमजोर हो
तो कितनी देर तक ?
इसी प्रकार व्यक्ति का जीवन भी दो चीजों पर खड़ा होता है -उसका तन- मन   और आर्थिक स्वास्थ।
अगर तन -मन और फिनेंशल स्वस्थता दोनों या कोई एक कमजोर हो तो क्या उस व्यक्ति का जीवन स्वस्थ और दीर्घायु होगा ?
जीवन के शुरुवाती पड़ाव में एजुकेशन  में अच्छे स्वास्थ और फाइनेंस के बारे में कोई प्रेक्टिकल ज्ञान नहीं मिलता।अगर मिलता तो आज इतनी बीमारिया नहीं होती और आर्थिक स्वतन्त्रता भी होती ।
ज्यादातर लोग स्वस्थ को नजरअंदाज कर रहे है अपने जॉब,बिजनैस के काम के दवाब के कारन और जब उम्र थोड़ी बढ़ जाती है तो हेल्थ की प्रोबम भी बढ़ चुकी होती हैं।
अब कमाए हुए धन को बीमारी के इलाज में लगाना मजबूरी हो जाती है।
ये बीमारी कोई रातों रात तो आयी नहीं थीं।
थोड़ा थोड़ा कर ही बीमारी बड़ी होती है।
तो क्या चीज थी बीमार करने वाली?

हमारा शरीर अरबों  cells से मिलकर बनता है। हर सेकंड करोड़ों cell बनती हैं करोड़ों cell मरती रहती हैं।
cell से tissue बनते हैं और कई tissues से  ऑर्गन यानी अंग बनते हैं।
ऑर्गन सिस्टम से हमारा शरीर बनता है।
आपका  स्वास्थ कैसा होगा यह निर्भर करता है की आपके सेल्स  की हेल्थ कैसी है।
cell बनाने के लिए चाहिए 46 प्रकार के पोस्टिक तत्व जिनको बीटामिन्स,खनिज, प्रोटीन , कार्बोहाईड्राट्स,वसा,फाईबर  और जल के नामों से जानते हैं।

ये सारे तत्व हमें भोजन ,पानी और हवा से मिलते हैं।
क्या ये तीनों चीजे शुद्व हैं?
ये अब सबको पता है की ये तीनो प्रदूषित हो चुकी हैं ।
ये प्रदूषित भोजन, पानी और हवा हमारी cell को डैमेज कर देती हैं और हमारा भोजन भी पोस्टिक तत्वों से परिपूर्ण नहीं होता है।
हमारा ध्यान भोजन के स्वाद पर होता है न की शरीर की जरुरत के पोस्टिक तत्वों पर।
तो अब हमारे cell जो डैमेज हैं  अपना काम नहीं कर पाते और tissue भी कमजोर और बीमार हो जाते हैं। नतीजा अंग भी पूरी तरीके से काम नहीं कर पाते और बीमार हो जाते है।
जिसको हम बीमारी का नाम देते हैं।
आज जो भी इलाज हो रहा है वह कारण का इलाज नहीं करता बल्कि और भी नयी बीमारी भी आ जाती है।

99% बीमारियां केवल 2 टाइप से होती हैं-

1- प्रदूषित भोजन ,हवा और पानी , जिस हमारा कोई कण्ट्रोल नहीं है।

2- पौष्टिक तत्वों की हमारे भोजन में कमी।

इन सब से बचा जा सकता है


प्रदूषित भोजन , हवा ,पानी से हम अपने cell को डैमेज होने से बचा सकते हैं।

कैसे?

जो भी प्रदुषण हमारे शरीर में जाता है उसे फ्री रेडिकल या ऑक्सीडेंट बोलते हैं। ये ऑक्सीडेंट ही तो बीमारी का कारन बनते हैं ।
प्रकृति ने इसका इलाज पहले ही निकल रखा है एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में।

इसको इस प्रकार समझ सकते हैं जैसे लोहे की कोई चीज आपने घर के बाहर खुले में रख दी है तो उस पर जंग तो लगेगा ही। उसको जंग सइ बचाने का एक ही तरीका है -पेंट ।
पेंट लगाने से वो स्जिज जंग से बच जॉएगी।
उसी प्रकार हमरे शरीर को ऑक्सीडेंट से बचाने के लिए प्रकृति ने एंटी इक्सीडेंट्स दे रखे है हर प्रकार के फल, सब्जी, अनाज,
दालों , दूध या इनसे बानी चीजों में।
अगर हम पौष्टिक - बैलेंस भोजन लेते हैं तो cell को भरपूर एंटी ऑक्सीडेंट मिल जायेंगे और cell डैमेज होने  से बच जायेंगे। या जो डैमेज हो चूका है उसको रिपेयर करेगा।
हमारे भोजन में जितने ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट होंगे हम उतने ही ज्यादा निरोग व लंबी उम्र वाले होंगे।

पर यहाँ एक और समस्या आ जाती है-

जो भोजन हम डेली ले रहे हैं  उसमें इतने एंटी ऑक्सीडेंट तो है ही नहीं ,ऊपर से मिलावट।
जितने एंटी ओसिडेंट बॉडी को चाहिए उतने नहीं मिल पाते और cell को फुल पॉवर नहीं मिल पाती।
अगर हम अपने भोजन में एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा नहीं बड़ा सकते तो एक्स्ट्रा एंटी ऑक्सीडेंट तो दे सकते है।

ये एडिशनल या एक्स्ट्रा ऑक्सीडेंट मिलते हैं -
फ़ूड सप्प्लिमेंट्स  या हेल्थ सप्प्लिमेंट्स के रूप में।
इनको डेली अपने भोजन के रूप में लेने से शरीर को भरपूर पौष्टिक तत्व और एंटी ऑक्सीडेंट मिल जाते हैं।

इनको निरंतर लेने से
डेमेज्ड सेल की  मरम्मत होती है और tissue ,ऑर्गन भी  स्वस्थ हो जाते है।
अगर कोई बीमारी है तो इस प्रकार के सम्पूर्ण भोजन से बीमारी दूर हो जाती है और लगातार लेते रहने से कभी बीमारी नहीं  आएगी।

जो व्यक्ति स्वस्थ है और हमेशा स्वस्थ रहना चाहता है  या जो व्यक्ति बीमार है उसको  अपनी हेल्थ को ओके करने ले लिए एंटी ऑक्सीडेंट वाले फ़ूड सप्प्लिमेंट्स या हेल्थ सप्लीमेंट्स जरूर लेने  चाहिए।

स्वस्थ जीवन ही सुखी जीवन है।

हर इंसान की कामना भी है ।

आपके सम्पूर्ण स्वास्थ की मंगल कामनाओं के साथ आपका हितैषी

रविन्द्र भट्ट

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